कवि / कविता
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कवि / कविता

यूं ही दिन बीत रहे

यूं ही दिन बीत रहे कहो तो कुछ जतन कर लें।पास आओ तो सांसों से कुछ सृजन कर ले। मौन के घुप्प अंधेरों में गुजर रही है उमरकुछ कहो तुम…

*ए मेरे बेटे*

जिम में पसीना बहाने वाले ए मेरे बेटे… धूप में मेहनत करने वाले पापा के पसीने का खारापन चखा है क्या? पिता की डांट से गुस्सा होने वाले ए मेरे…

उसने कहा- मैं पढ़ रही हूं किताब…

उसने कहा- मैं पढ़ रही हूं किताब…मैंने कहा- थोड़ा मुझे भी पढ़ लो…उसने कहा- किताबों में बहुत सी कहानियां है।मैंने कहा- मुझमें भी तेरी मेरी कहानियां हैं।कुछ सपने हैं और…

भाव पुष्पों का महकता गुलदस्ता है “बेटी”

संवेदनाओं का हृदय में उत्पन्न होना, तत्पश्चात उनका काव्य में अभिव्यक्त होना, केवल एक भावुक मन व समर्थ सृजनकर्ता के लिए ही सम्भव है। सूरत की लेखिका सुमनलता शर्मा की 137 रचनाओं…
my book

मैं पढ़ रही हूं किताब…

उसने कहा- मैं पढ़ रही हूं किताब…मैंने कहा- थोड़ा मुझे भी पढ़ लो…उसने कहा- किताबों में बहुत सी कहानियां है।मैंने कहा- मुझमें भी तेरी मेरी कहानियां हैं।कुछ सपने हैं और…

ये अंधेरों की उमर

ये अंधेरों की उमर, कब तक।तुम दीप ना जलाओ,तब तक।आंख खुल गई तो चल पथ पर,सूरज की राह तकोगे, कब तक।वो तुम्हे डरायेगा तब तक।तुम उससे डरोगे जब तक।कोई नहीं…